Wednesday 7 December 2011

जादू की छड़ी

चाहती हूँ 
मिल जाए मुझे 
एक जादू की छड़ी 
छू दूँ जिससे 
कचरा बीनते बच्चों को 
बदल जाएँ उनके फटे वस्त्र 
स्कूल यूनिफार्म में 
उनके थैले भर जाएँ 
किताबों से 
चाहती हूँ 
बदल दूँ दहेजखोरों को 
जंगली बिलाव 
नेताओं को खूँखार भेड़ियों में 
और हांक दूँ उन्हें 
सुदूर वन में 
चाहती हूँ छुड़ाना
कसाईयों के चंगुल से 
बच गयी गायों को  
पाँप के दीवानों को 
ले जाना चाहती हूँ 
खेतों की ओर 
सिखाना चाहती हूँ 
बोआई-कटाई के गीत |

2 comments:

  1. काश ऐसा हो पता ?कही भी कुछ नहीं बदला ........................

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