चन्द्र-किरणों ने धरती को
खुशबू से नहलाकर
पहना दी है
सरसों की पीली साड़ी
जूड़ें में टांक दिया है
बेला-चमेली का गजरा
ओढा दी है
सितारों वाली झिलमिलाती ओढ़नी
पाँवों में लगा दिया है
टेसू के फूलों का महावर
और बैठा दिया है
गेंदे के फूलों की शैय्या पर
सुनहरे कुर्ते-शेरवानी में दमकता
बसंत भी आ बैठा है पास
हरसिंगार फूल बरसा रहे हैं
रातरानी छिड़क रही है इत्र
दूर कहीं बज रही है शहनाई
मधुरात है ये
मिल रहे हैं धरती और बसंत
आँखें मींचे खड़े हैं
अमलतास-गुलमोहर और सेमल
होंठ दबाए खामोश हैं
बोगनबेलिया और गुड़हल
डहेलियों से नहीं संभल रहा है
अपने फूल का यौवन
मंजरियों की आँखों में
जगमगा रहे हैं कल के सपने
नशे में मत्त पड़ी हैं तितलियाँ
चारों तरफ सन्नाटा है
बस हवा को ही
नहीं आ रही है नींद
आज मधु-रात है
धरती और बसंत के मिलन की रात |
खुशबू से नहलाकर
पहना दी है
सरसों की पीली साड़ी
जूड़ें में टांक दिया है
बेला-चमेली का गजरा
ओढा दी है
सितारों वाली झिलमिलाती ओढ़नी
पाँवों में लगा दिया है
टेसू के फूलों का महावर
और बैठा दिया है
गेंदे के फूलों की शैय्या पर
सुनहरे कुर्ते-शेरवानी में दमकता
बसंत भी आ बैठा है पास
हरसिंगार फूल बरसा रहे हैं
रातरानी छिड़क रही है इत्र
दूर कहीं बज रही है शहनाई
मधुरात है ये
मिल रहे हैं धरती और बसंत
आँखें मींचे खड़े हैं
अमलतास-गुलमोहर और सेमल
होंठ दबाए खामोश हैं
बोगनबेलिया और गुड़हल
डहेलियों से नहीं संभल रहा है
अपने फूल का यौवन
मंजरियों की आँखों में
जगमगा रहे हैं कल के सपने
नशे में मत्त पड़ी हैं तितलियाँ
चारों तरफ सन्नाटा है
बस हवा को ही
नहीं आ रही है नींद
आज मधु-रात है
धरती और बसंत के मिलन की रात |
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