Thursday 22 September 2016

कविता की फसलें

रोटी के गणित ने
दबा रखा है
आजकल 
कविता के बीजगणित को
संवेदना के मेघों में
पानी नहीं है
नहीं हो रही शब्दों की बारिश 
फिर भी
निराश नहीं हूँ
बीज है मेघ हैं
तो लहलहाएँगी
कविता की फसलें
एक दिन।

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