पर्व -त्यौहार
हँसते- खिलखिलाते बच्चों की तरह
झाँक लेते हैं कभी -कभी
उस घर में
जिसकी खिड़की के पास
रहती है
प्रतीक्षा -रत
एक स्त्री
अंदर नहीं आते हैं
पर्व -त्योहार
दूर से ही
हेलो -हाय कर लेते हैं
वह चाहती है उन्हें बुलाना
वे हाथ हिलाकर बढ़ जाते हैं आगे
कभी मजाक में मुँह भी बिरा देते हैं
कंकड़ी भी फेंक देते हैं
शांत मन के पसरे सन्नाटे में
कुछ अनचाहे हिलोर पैदा करते हुए
उसके घर को छूने से बचते हैं |
हँसते- खिलखिलाते बच्चों की तरह
झाँक लेते हैं कभी -कभी
उस घर में
जिसकी खिड़की के पास
रहती है
प्रतीक्षा -रत
एक स्त्री
अंदर नहीं आते हैं
पर्व -त्योहार
दूर से ही
हेलो -हाय कर लेते हैं
वह चाहती है उन्हें बुलाना
वे हाथ हिलाकर बढ़ जाते हैं आगे
कभी मजाक में मुँह भी बिरा देते हैं
कंकड़ी भी फेंक देते हैं
शांत मन के पसरे सन्नाटे में
कुछ अनचाहे हिलोर पैदा करते हुए
उसके घर को छूने से बचते हैं |
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