नीम पर भी आया है बसंत छरहरी टहनियों पर
सज गयी हैं
तराशी हुई गुलाबी,धानी
और हरी पत्तियाँ
नन्हें तारों से टिमटिमाते
सफेद फूल भी हैं
आकार-प्रकार,रूप-रंग
किसी भी दृष्टि से
कम नहीं है नीम किसी पेड़ से
ज्यादा है कि जड़,तने,टहनियों,पत्तियों
छाल,तिनकों सबसे करता है जनकल्याण
फिर भी अकेला है
इस बसंत में
उपेक्षित है अपनी उस कड़वाहट से
जो उसका खास गुण है
निराश नहीं है नीम
जानता है उसके फलों में
जब पकेगा मीठा-सा रस
अपने अलग स्वाद से
पक्षियों,चींटों,बच्चों को भाएगा
और उसका सन्नाटा दूर हो जाएगा |
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