Tuesday 15 March 2016

सुंदर

तुम्हारी आँखों के 
हीरे से झिलमिलाते आईने में 
बहुत सुंदर दिखा था मेरा रूप 
हैरान थी कि 
ये मैं ही हूँ 
बचपन से सुनती आई थी 
कुछ भी सुंदर नहीं है मुझमें 
ये तुम्हारी आँखों का जादू था 
कि अनभिज्ञ थी मैं 
खुद से 
नहीं जान पाई आज तक |

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