मेरी औरत पच्चीस
साल पहले भाग गयी थी |
-“कैद करके नहीं रखा था..?”
मैंने चुटकी ली |
रखा था न,परदे
में रखता था ,जासूस लगा रखे थे ,मिलने
नहीं देता था किसी से ,पैसा नहीं रखता था हाथ में,चिट्ठी-पत्री के लिए दे रखा था कोई दूसरा पता...|
-‘फिर भी भाग गयी ..क्या
किसी के साथ..?’
नहीं नहीं ..ऐसी नहीं थी ..किसी के साथ नहीं
भागी |
‘-भाग कर कहाँ गयी ?’
अपनी माँ के घर
-‘वजह क्या बताती थी ?’
बच्चा बीमार था इलाज के लिए गयी ..
-‘तुमने नहीं कराया था इलाज ..?’
पैसा कहाँ था मेरे पास ?वैसे
बीमारी बहाना था उसे भागना ही था |
-‘क्या करते थे उस वक्त ?”
कुछ नहीं
-‘कितने
वर्ष हो गए थे शादी के”
पूरे दस साल
-‘बाल
विवाह हुआ था क्या?’
नहीं दसवीं में पढ़ते थे दोनों
-“किस उम्र में भागी ?”
बीसवें साल में
-”कितनी उम्र का था तब बच्चा ?”
पाँच साल का
-“क्या किया माँ के घर जाकर उसने ?”
पढ़ने लगी
-“रोका नहीं”
बहुत रोका
..पास-पड़ोस नात-रिश्तेदार सबसे दलवाया दबाव,पर नहीं मानी|
-“क्या कहती थी?”
आत्मनिर्भर बनूँगी
-“तुम्हारी आपत्ति क्या थी ?”
औरत मर्द से ज्यादा पढे ,नौकरी
करे यह मुझे पसंद नहीं |
-“फिर क्या हुआ?”
साम दंड भेद सबका सहारा लिया |नहीं
मानी तो बच्चे को उठा लाया ,सोचा लौट आए तो उसकी औकात दिखाऊँ ,बात
न मानने का मजा चखाऊँ |
-“लौटी..?”
नहीं..सयानी थी ,दे
दी ममता की कुर्बानी |कहती थी किसी कीमत पर पढ़ाई
नहीं छोडूँगी आत्मनिर्भर होकर ही लौटूँगी|
-“पहले कभी मारा-पीटा था?”
खून निकाल लेता था |औरत को लात के नीचे रखना जरूरी होता है न |
-“फिर भी भाग गयी न!”
भागी कहाँ ?मुझसे पूछे बिना गयी ,इसी
से बवाल किया |
-“और क्या-क्या किया मेरे भाई?”
उसे भागी हुई औरत के रूप में चारों ओर बदनाम किया
-“ पर यह सच नहीं था !”
कोई झूठ बार-बार बोला जाए ,वह सच
लगने लगता है|
-“आगे क्या हुआ भाई ?”
कर ली मैंने दूसरी शादी |
-“ बिना तलाक के ?’
मर्द कुछ भी कर
सकता है |
-“कहीं से नहीं उठी विरोध
की आवाज?”
नहीं सब थे मेरे
साथ |जानते थे, मैं हूँ पत्नी का छोड़ा बेचारा,बच्चे
को भी चाहिए माँ का सहारा |
-“पत्नी ने नहीं किया एतराज ?”
कोई नहीं था उसके साथ |स्वार्थी था उसका परिवार और देवी अभी पढ़ रही थी न |
“..पर बच्चा ...”
उसे तो अपने पास
ही रखना था ,बदजात से बदला लेने के लिए ,बच्चे के लिए उम्र भर
तड़पाने के लिए|
-“अब इतने वर्षों बाद क्या
परेशानी?”
हो गया हूँ चार बच्चों का पिता ,बढ़
गयी है मेरी ज़िम्मेदारी |वह
मजे में है नहीं कोई दुश्वारी |कमाया
है उसने बहुत नाम ,चाहता हूँ हो जाए बदनाम |दे यह समाज उसे भागी हुई
निर्मम माँ का खिताब ताकि रो-रोकर काटे उम्र,सबको देते हुए जबाब |
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