रोटी के गणित ने
दबा रखा है
आजकल
कविता के बीजगणित को
संवेदना के मेघों में
पानी नहीं है
नहीं हो रही शब्दों की बारिश
फिर भी
निराश नहीं हूँ
बीज है मेघ हैं
तो लहलहाएँगी
कविता की फसलें
एक दिन।
दबा रखा है
आजकल
कविता के बीजगणित को
संवेदना के मेघों में
पानी नहीं है
नहीं हो रही शब्दों की बारिश
फिर भी
निराश नहीं हूँ
बीज है मेघ हैं
तो लहलहाएँगी
कविता की फसलें
एक दिन।
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