इश्क की आग भी कैसी अजीब है
लगती कहीं जलती कहीं और हैं।
लगती कहीं जलती कहीं और हैं।
दिल तक भला दूसरा पहुँचे कैसे
आँखों में किसी ने धरना दे रखा है।
आँखों में किसी ने धरना दे रखा है।
हमने जिसे भी गले लगाया
उसी ने घोपी पीठ में खंजर
वे बदल न सके अपनी फितरत
बदलना हमें भी कहाँ आया।
उसी ने घोपी पीठ में खंजर
वे बदल न सके अपनी फितरत
बदलना हमें भी कहाँ आया।
हम तो उम्मीद पर मारे गए हमेशा
वे कह रहे हैं एक बार आजमा के देखो।
वे कह रहे हैं एक बार आजमा के देखो।
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