आज भी लक्ष्मी शारदा पर भारी हैं
हंस विलुप्त हुए उलूकों की बारी है |
हंस विलुप्त हुए उलूकों की बारी है |
शिकायत तुम्हें है पूरे जमाने से
जमाने में क्या तुम नहीं आते ?
जमाने में क्या तुम नहीं आते ?
कहते हो तुम्हें अभिमान नहीं है
बात न सुनी तो क्यों आग हो गए ?
बात न सुनी तो क्यों आग हो गए ?
ईमान कहाँ हँस पाता है ज़ोर ज़ोर से
बेईमान ही सदा अट्टहास करता है |
बेईमान ही सदा अट्टहास करता है |
डरती रही उम्र भर अकेलेपन से मैं
पर उससे करीबी कोई दोस्त न मिला |
पर उससे करीबी कोई दोस्त न मिला |
परीक्षा मैं क्यों दूँ तुम
परीक्षक नहीं हो
कभी कोई परीक्षा तुमने भी पास की है |
कभी कोई परीक्षा तुमने भी पास की है |
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