अनिर्मित पथ
Wednesday, 8 March 2017
मैं शायर तो नहीं फिर भी..
इंकार औरत का पौरुष का सवाल लगता है
ये मरद तू मुझे बड़ा ही कंगाल लगता है।
जब देखो तुम जोड़ते घटाते हो
प्यार भी तुमको हिसाब लगता है|
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