नीम के फूल
नीम के दिन भी बहुरे हैं
उसकी नाजुक छरहरी टहनियों में
नए सुकुमार गुलाबी-धानी-हरे
पत्ते ही नहीं
भुने रामदानों से खिले,नन्हें,नाजुक
भारहीन फूल भी आए हैं
जो गुच्छों में पतली सींकों के सहारे
हवा के झूले पर झूल रहे हैं
जाने कहाँ-कहाँ से आकर
एकरंग और बहुरंगी तितलियाँ
आहिस्ते से बैठकर उन फूलों पर
चूस रही हैं मकरंद
अपने पंखों को फैलाती-सिकोड़ती
आश्चर्य कि उनके भार से फूल टूटते नहीं
थोड़ा लरज जरूर जाते हैं
कल तक बदनाम था नीम
अपनी कड़वाहट से
आज मिठास की गंध से
खींच रहा है तितलियों को
कल उसके फूल बदल जायेंगे फल में
तब आयेंगे पक्षी भी लेने
निम्बोरी का कषाय-मीठा स्वाद
सिखाता है नीम
कि कड़वे-हृदय से भी
पा सकते हैं मनचाहा प्यार
बस तितलियों-सी समझ चाहिए |
उसकी नाजुक छरहरी टहनियों में
नए सुकुमार गुलाबी-धानी-हरे
पत्ते ही नहीं
भुने रामदानों से खिले,नन्हें,नाजुक
भारहीन फूल भी आए हैं
जो गुच्छों में पतली सींकों के सहारे
हवा के झूले पर झूल रहे हैं
जाने कहाँ-कहाँ से आकर
एकरंग और बहुरंगी तितलियाँ
आहिस्ते से बैठकर उन फूलों पर
चूस रही हैं मकरंद
अपने पंखों को फैलाती-सिकोड़ती
आश्चर्य कि उनके भार से फूल टूटते नहीं
थोड़ा लरज जरूर जाते हैं
कल तक बदनाम था नीम
अपनी कड़वाहट से
आज मिठास की गंध से
खींच रहा है तितलियों को
कल उसके फूल बदल जायेंगे फल में
तब आयेंगे पक्षी भी लेने
निम्बोरी का कषाय-मीठा स्वाद
सिखाता है नीम
कि कड़वे-हृदय से भी
पा सकते हैं मनचाहा प्यार
बस तितलियों-सी समझ चाहिए |
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