Friday 20 April 2012

कनेर



पतली कमर और खिले चेहरे वाले 
कनेर भाई 
हरे पत्तों के घर में 
पीली हँसी बिखेरते 
तुम बड़े अच्छे लगते हो 
अमीर तुम्हें पसंद नहीं करते 
तुमसे नहीं सजाये जाते मंडप 
ना ही दिए जाते उपहार में 
सुहाग-सज्जा के भी काम नहीं आते 
गंध ही नहीं है मादक,फल भी बेडौल 
फिर भी कुछ खास बात है तुममें 
कि सबसे अधिक दिखाई देते हो तुम ही 
गरीब तुम्हें प्यार करते हैं 
उनके दरवाजे और पूजा में 
जरूर दिख जाते हो तुम 
तुम्हारी कई नस्लें तैयार हैं आजकल 
रंग भी कई दिखने लगे हैं 
पर नहीं है बदला तुम्हारा स्वभाव 
कोमल इतने कि अलग होते ही 
माँ की गोद से मुरझाने लगते हो 
फिर भी जाने क्यों अच्छे लगते हो |

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