Saturday 30 June 2012

साईनबोर्ड


मूछें आगे हैं
घूंघट पीछे
प्रधानी चुनाव के लिए
दाखिले का दिन है
मूंछें प्रचार कर रहीं हैं
हाथ जोड़े खड़ा है घूंघट
हर गाँव में यही हाल है
परम्परावादी हैरान
घर की इज्जत यूं चौपाल पर
प्रगतिशील परेशान
ऐसी प्रगति अचानक!
मूंछें तो वही हैं सदियों पुरानी
मर्दों की आन-बान-शान
छीन रखा है जिन्होंनें
औरत का चेहरा घूंघट के नाम
मूंछें बदलीं नहीं हैं
समय के हिसाब से बदल लिया है बस
आकार-प्रकार
आचार-विचार
बोली-व्यवहार
काबिजरहने का यह नया तरीका है
घूंघट इस बात से अनजान है
मूंछें नाच रहीं हैं
जीता है घूंघट
उत्सव का माहौल है
बंट रही हैं मिठाईयां
ले-देकर घूंघट भी खुश है
घूंघट घर में चूल्हा जला रहा है
मूंछें चौपाल में जश्न मना रहीं हैं
सामने खुली पड़ी हैं बोतलें
देर रात डगमगातीं घर लौटी हैं मूछें
घूंघट को सोता देख चिल्लाईं हैं
थरथराता घूंघट अब जमीन पर है
सीने पर सवार हैं मूंछें
बाहर साइनबोर्डों पर
घूँघट सवार है |

1 comment:

  1. अब मूंछ की भूमिका पूंछ जैसी हो गयी है

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