Saturday 28 July 2012

नयी उम्र का प्रेमी

खिल उठती है जिसके 
प्रेम-परस से 
उम्र की तपिश से
मुरझा रही प्रेमिका 
किलकने लगती है
रूप-रस-गंध की तरंगिनी 
मलय के ऐसे सुवासित
झोंके-सा होता है 
नयी उम्र का प्रेमी |
प्रेमिका जितना ही बरजती है 
करीब आने से  
उतने ही आवेग से बढ़ता है
नयी उम्र का प्रेमी |
वह बढाता है दाढ़ी 
रहने लगता है रफ-टफ 
बड़ों की तरह बतियाता है 
चेहरे पर लगा लेता है 
मुखौटा गंभीरता का 
नयी उम्र का प्रेमी |
उसे बुरा लगता है 
प्रेमिका का दुनियादार होना 
प्रेम की बात पर दुनिया 
समाज और उम्र का हवाला देना 
वह खोल देना चाहता है 
सारी बंद खिड़कियाँ 
ऐसा तूफ़ान होता है 
नयी उम्र का प्रेमी |
वह नाराज रहता है 
उन सब पर जिन्हें बेमेल लगता है 
उसका सीधा-सच्चा प्रेम 
व्यवस्था के मजबूत स्तम्भों को 
अपने बाजुओं के जोर से
झकझोर देना चाहता है 
नयी उम्र का प्रेमी |
वह देश...काल
संस्कृति-समाज 
इतिहास-वर्तमान 
धर्म-विज्ञान से ढूंढ लाता है 
ऐसे उदाहरण जिसमें नहीं माना 
प्रेम ने कोई बंधन 
अपने  हाहाकार में 
अंतत: तोड़ देता है 
जो सारे तट-बंधन 
ऐसा सैलाब होता है 
नयी उम्र का प्रेमी |

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