Wednesday, 6 February 2013

परिवर्तन



अपने अस्सी किलों के वजन को 
उन्होंने रिक्शे पर लादा 
खींचते हुए उन्हें 
अधमरा बूढ़ा रिक्शे वाला हांफा 
लम्बी दूरी तय करनी थी 
उन्होंने बातचीत शुरू की 
-
बाबा,नाम क्या है तुम्हारा?
कहाँ के रहने वाले हो? 
कमा लेते हो कितना रोजाना ?
अरे,लौटकर पकाते हो खाना ?
बेटों ने निकाल दिया है घर से 
राम-राम ,बुरा है जमाना !
पता नहीं वे रिक्शे वाले के 
दुःख को सहला रहे थे 
कि अपना मन बहला रहे थे 
कि मंशा थी कुछ और 
पहुँचकर गंतब्य पर 
बताने पर किराया 
वे जोर से चिल्लाए -क्या कहा ?
इतनी-सी दूरी का तीस रूपया ?
डाका डाल रहे हो 
मचा रही है लूट ?
ना जाने वे क्यों झल्लाए थे 
किराया तो ठीक था 
क्या इस लिए
कि सहानुभूति जताने के बाद भी 
बूढा मुरव्वत में ना आया था ?

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