अपने अस्सी किलों के वजन को
उन्होंने रिक्शे पर लादा
खींचते हुए उन्हें
अधमरा बूढ़ा रिक्शे वाला हांफा
लम्बी दूरी तय करनी थी
उन्होंने बातचीत शुरू की
-बाबा,नाम क्या है तुम्हारा?
कहाँ के रहने वाले हो?
कमा लेते हो कितना रोजाना ?
अरे,लौटकर पकाते हो खाना ?
बेटों ने निकाल दिया है घर से
राम-राम ,बुरा है जमाना !
पता नहीं वे रिक्शे वाले के
दुःख को सहला रहे थे
कि अपना मन बहला रहे थे
कि मंशा थी कुछ और
पहुँचकर गंतब्य पर
बताने पर किराया
वे जोर से चिल्लाए -क्या कहा ?
इतनी-सी दूरी का तीस रूपया ?
डाका डाल रहे हो
मचा रही है लूट ?
ना जाने वे क्यों झल्लाए थे
किराया तो ठीक था
क्या इस लिए
कि सहानुभूति जताने के बाद भी
बूढा मुरव्वत में ना आया था ?
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