हर हाल में खुश है सेमल
कल यौवन के फूलों से सजा था
प्रेमियों से उसका घर-आँगन भरा था
आज नहीं हैं एक भी प्रेमी
फिर भी नयी नाजुक कत्थई कोंपलों
और धानी पत्तियों से भरा है
उसका तन -मन हरा है
जी रहा है बचपन एक बार फिर
एक दिन आएगा पतझर
झर जाएंगे सारे पत्र
तब वह उठाकर ऊपर
सहस्त्र टहनियों वाले हाथ
तपस्वी रूप धरेगा
जीना जानता है सेमल |
जीना जानता है सेमल...
ReplyDeleteवाह
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति.....
अनु
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDelete"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल:कुछ उपयोगी नुस्खें"