Saturday, 23 March 2013

जानता है सेमल



हर हाल में खुश है सेमल 
कल यौवन के फूलों से सजा था
प्रेमियों से उसका घर-आँगन भरा था 
आज नहीं हैं एक भी प्रेमी 
फिर भी नयी नाजुक कत्थई कोंपलों
और धानी पत्तियों से भरा है 
उसका तन -मन हरा है 
जी रहा है बचपन एक बार फिर 
एक दिन आएगा पतझर
झर जाएंगे सारे पत्र
तब वह उठाकर ऊपर
सहस्त्र टहनियों वाले हाथ
तपस्वी रूप धरेगा
जीना जानता है सेमल |

2 comments:

  1. जीना जानता है सेमल...
    वाह
    बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति.....

    अनु

    ReplyDelete