Friday, 22 March 2013

आम राजा

उड़ा रहा है सौरभ
आम्रवृक्ष  
भर-भर दामन
फैल गई  है मीठी खुशबू
दूर-दूर तक
कोयल कूकती
सुबह-शाम
भौरे प्रेम-राग सुना रहे
तितली रानी नाच रही
उसके घर-आँगन
फूल रहा है जामुन
मोजरों से सजी है लीची
फागुनी हवा गा रही
फल-राजा के गुन
बड़हड़ मुँह बिगाड़ रहा
पपीते का चेहरा भी लटका है
किसी सोच में अटका है
कटहल बेचारे का मन |

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