Tuesday 26 March 2013

धरती पर उत्सव



आम सुनहरी पिचकारी लिए खड़ा है 
और सहजन सफेद 
आमड़े ने हरा रंग घोल रखा है 
सेमर ने लाल 
कनेर ने पीला 
वे रंग रहे हैं धरती को 
धरती खिलखिला रही है 
सरसों की तरह 
झूम रही है
जौ की बालियों की तरह
रस से भर रही है
शहतूत की तरह
महक रही है
नीबू के फूलों की तरह
और अपनी टोली के साथ
उछाल रही है उन पर
रंग और गुलाल
कुलफा=मरसा के पास है
लाल गुलाल
धनिए के पास हरा
गाजर के पास नारंगी और बैगनी रंग है
तो मूली लिए हुए है सफेद वार्निश
जो नहीं छूटती आसानी से
हरी मटर तो रंग-भरा गुब्बारा लिए
चढ़ आई है मेंड़ पर
अरहर पर इतना ज्यादा
हरा रंग चढ़ा है
कि वह काली दीखने लगी है
कोयल चिड़ियों के साथ गा रही है फाग
कलियाँ उड़ा रही हैं सुगन्धित रंगीन गुलाल
हवा चूमती फिर रही है सबके गाल
सबकी अपनी-अपनी टोली है
लगता है आज होली है |

2 comments:

  1. पर्यावरण की पूरी छटा बिखेर दी आपने।
    होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. होली प्रेम प्रतीक है, भावों का है मेल
    इसे समझिये न कभी, रंगों का बस खेल

    होली की शुभकामनायें.

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