Thursday, 10 December 2015

क्यों बदल जाते हैं नए आलू

बच्चों की तरह  
सुंदर नाजुक और
पारदर्शी जिल्द वाले होते हैं नए आलू  
दिख जाता है उनका मन बाहर से ही साफ
बुराई की मिट्टी जितनी तेजी से
चढ़ती है उन पर
छूट जाती है उतनी ही जल्दी
टिकी नहीं रहती
अच्छाई की धार के आगे   
किसी भी नस्ल या देश के हों  
सफेद गुलाबी लाल या साँवले
छोटे बड़े या मँझोले
एक जैसे स्वभाव के होते हैं नए आलू
हल्की आंच मे भी पक जाते हैं
किसी भी साँचे में ढल जाते हैं
ज्यों –ज्यों बड़े होते जाते हैं नए आलू
सख्त होती जाती है उनकी जिल्द
जल्दी नहीं उतरती
बुराइयाँ अलग से नजर नहीं आतीं
हिस्सा हो जाती हैं उनके व्यक्तित्व का
बदल जाता है उनका रूप-रंग आकार-प्रकार
बदल जाता है स्वभाव
अब नहीं पकते वे हल्की आंच में
नहीं ढलते जिस किसी के साँचे में
यह सच है कि पुराने आलू ही जनक होते हैं
नये आलुओं के
और नए आलू ही हो जाते हैं
एक दिन पुराने
फिर भी दोनों में अंतर होता है
शायद इसलिए कि नए आलू
माँ धरती की गोद से
उतरे होते हैं तुरत
पुरानों को लग चुकी होती है

जमाने की हवा |  

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