बच्चों की तरह
सुंदर नाजुक और
पारदर्शी जिल्द वाले
होते हैं नए आलू
दिख जाता है उनका
मन बाहर से ही साफ
बुराई की मिट्टी जितनी
तेजी से
चढ़ती है उन पर
छूट जाती है उतनी
ही जल्दी
टिकी नहीं रहती
अच्छाई की धार के
आगे
किसी भी नस्ल या देश
के हों
सफेद गुलाबी लाल या
साँवले
छोटे बड़े या मँझोले
एक जैसे स्वभाव के
होते हैं नए आलू
हल्की आंच मे भी पक
जाते हैं
किसी भी साँचे में
ढल जाते हैं
ज्यों –ज्यों बड़े
होते जाते हैं नए आलू
सख्त होती जाती है
उनकी जिल्द
जल्दी नहीं उतरती
बुराइयाँ अलग से नजर
नहीं आतीं
हिस्सा हो जाती हैं
उनके व्यक्तित्व का
बदल जाता है उनका
रूप-रंग आकार-प्रकार
बदल जाता है स्वभाव
अब नहीं पकते वे हल्की
आंच में
नहीं ढलते जिस किसी
के साँचे में
यह सच है कि पुराने
आलू ही जनक होते हैं
नये आलुओं के
और नए आलू ही हो जाते
हैं
एक दिन पुराने
फिर भी दोनों में
अंतर होता है
शायद इसलिए कि नए
आलू
माँ धरती की गोद से
उतरे होते हैं तुरत
पुरानों को लग चुकी
होती है
जमाने की हवा |
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