Monday 7 December 2015

हरी मटर

बहुरे हैं दिन 
हरी मटर के 
छरहरी काया में
आ गए हैं यौवन के
सुंदर फल
गाँव-शहर
खेत-खलिहान
मंडी -बाजार
शादी-त्यौहार
हर जगह छायी हुई है
हरी मटर
खेतों में हो या चढ़ रही हो मेड़ पर
फली के भीतर हो या बाहर
नाजुक हो या गठी
सबको लुभा रही है हरी मटर
सभी सब्जियाँ हरी पीली नीली या सफेद
सखी बनाने को आतुर हैं उसे
ताकि बढ़ जाए उनका भी भाव
हरी मटर को भाता है
नया आलू
जिसकी पारदर्शी जिल्द से
झांकता है सुडौल गुलाबी जिस्म
बच्चों से बूढों तक को पसंद है
उनकी सुंदर जोड़ी
अभी दोनों युवा हैं ...नए हैं 

कल हो जाएंगे बूढ़े 
उम्र की ज्यादतियां 
छीन लेगी उनकी कोमलता 
कड़ी और मोटी कर देगी 
उनकी जिल्द 
फिर भी वे मिलेंगे जब भी 
बेमिसाल होंगे 
हिट रहेगी हमेशा
अद्भुत है उनका रूप-रंग, स्वाद 

उनकी जोड़ी |

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