तुम्हारी आँखों के
हीरे से झिलमिलाते आईने में
बहुत सुंदर दिखा था मेरा रूप
हैरान थी कि
ये मैं ही हूँ
बचपन से सुनती आई थी
कुछ भी सुंदर नहीं है मुझमें
ये तुम्हारी आँखों का जादू था
कि अनभिज्ञ थी मैं
खुद से
नहीं जान पाई आज तक |
हीरे से झिलमिलाते आईने में
बहुत सुंदर दिखा था मेरा रूप
हैरान थी कि
ये मैं ही हूँ
बचपन से सुनती आई थी
कुछ भी सुंदर नहीं है मुझमें
ये तुम्हारी आँखों का जादू था
कि अनभिज्ञ थी मैं
खुद से
नहीं जान पाई आज तक |
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