Saturday 5 May 2012

मदार


पाश काँलोनी में
दरवाजों के पास
मदार के पेड़ देखकर चौंक पड़ी मैं
कैसे इतना पापुलर हुआ उपेक्षित मदार
अब तक तो उगता रहा कचरे के ढेर
और लावारिस जगहों पर अपने -आप
नहीं चढ़ाया जाता देवताओं को
[
अपवाद बस शिव हैं,पर वे भी तो देवलोक से बहिष्कृत हैं ]
किसी भी पौधे से कम आकर्षक नहीं है मंझोला मदार
चौड़े हरे पत्तों के बीच
दमकता है उसका सफेद
या फिर हल्का बैंगनी फूलों-सा चेहरा
मान्यता रही कि खतरनाक है मदार
फिर क्यों सजाया जा रहा है उससे द्वार
पता चला किसी बाबा ने बताया है
मदार के औषधीय शुभ गुणों से परिचित कराया है
पर सफेद मदार !
रंग -भेद यहाँ भी ?
आरक्षण में आरक्षण
कि आरक्षण का लाभ विशेष को
माँ की कोख आंवा
श्वेत-श्याम दोनों पलते हैं वहाँ
फिर एक शुभ दूसरा अशुभ कैसे ?
कचरे में जी रहे श्याम सहोदरों से
खुद को मानकर विशिष्ट
दिखा रहे श्वेत मदार अपनी शान
धर्म की महिमा महान!

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