अनिर्मित पथ
Tuesday, 19 March 2013
बसंत
बौराएँ हैं आम
लीची भी बौराई
जामुन पर आए फूल
सेमल की कलियाँ मुस्काईं
नव पल्लवों से सजा नीम
सरसों पियराई
पौधों ने धारे नए वस्त्र
फसलें हरिआईं
ये कौन आया
कि चतुर्दिशा मादकता छाई
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1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
23 March 2013 at 10:39
कौन हो सकता है सिवा ऋतुराज के...
अनु
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