भरे बदन के
सुंदर पुरूष -सा
लग रहा है
अमलतास
कल तक बिलख रहा था
सिर-मुंडाए बच्चे सा
बार-बार फेरता था
सिर पर हाथ कि
कब आएँगे
उसके सुंदर घने बाल
आज हरी धोती पर
ढेर सारा झूमके वाले
सोने के जेवर पहने
इतरा रहा है अमलतास
बुरी नजर से बचा रहे हैं उसे
काले ,लंबे नजरौटे से फल
सबके दिन बहुरते हैं
सच कहती है माँ |
सुँदर . .बहुत खुब
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.लाइन का स्पेस थोडा बढ़ाना चाहिए.
ReplyDeleteवाह......
ReplyDeleteक्या अंदाज़ है फूलों को देखने का....
कहीं हरसिंगार भी है क्या???
खोजती हूँ...
अनु