अमलतास-1
प्रौढ़ अमलतास
घिरा हुआ है आजकल
नाजुक,सुंदर
लम्बे-हरे-छरहरे फलों से
जैसे घर का बड़ा-बूढा
नाती-पोतों से
घिरा हुआ है आजकल
नाजुक,सुंदर
लम्बे-हरे-छरहरे फलों से
जैसे घर का बड़ा-बूढा
नाती-पोतों से
कल बदलेगा मौसम
खिलेंगे उसपर
यौवन के फूल
रस लोलुप फिर जुटेंगे
तब तक बूढे हो जाएँगे फल
सख्त काले और कुरूप
पीले फूलों के बीच
नजरौटा बन लटकेंगे |
खिलेंगे उसपर
यौवन के फूल
रस लोलुप फिर जुटेंगे
तब तक बूढे हो जाएँगे फल
सख्त काले और कुरूप
पीले फूलों के बीच
नजरौटा बन लटकेंगे |
अमलतास -२
आजकल अमलतास
पूरा दादा जी लग रहा है
बूढ़ी देह पर
उभर आए हैं चकत्ते
पत्तियाँ भी हो चुकी हैं कड़ी
यौवन के फूल कब के झर चुके
पूरा दादा जी लग रहा है
बूढ़ी देह पर
उभर आए हैं चकत्ते
पत्तियाँ भी हो चुकी हैं कड़ी
यौवन के फूल कब के झर चुके
रस-लोभी अब दीखते भी नहीं
उसके आस-पास
फिर भी उसका मन हरा है
हर उमर के लंबे,छरहरे,हरे
फल रूपी नाती-पोतों से
उसका घर भरा है
वह हँसते हुए उनसे
कुछ कह-सुन रहा है |
उसके आस-पास
फिर भी उसका मन हरा है
हर उमर के लंबे,छरहरे,हरे
फल रूपी नाती-पोतों से
उसका घर भरा है
वह हँसते हुए उनसे
कुछ कह-सुन रहा है |
अमलतास- ३
भरे बदन के
सुंदर पुरूष -सा
लग रहा है
अमलतास
कल तक बिलख रहा था
सिर-मुंडाए बच्चे सा
बार-बार फेरता था
सिर पर हाथ कि
कब आएँगे
उसके सुंदर घने बाल
आज हरी धोती पर
ढेर सारा झूमके वाले
सोने के जेवर पहने
इतरा रहा है अमलतास
बुरी नजर से बचा रहे हैं उसे
काले ,लंबे नजरौटे से फल
सबके दिन बहुरते हैं
सच कहती है माँ |
भरे बदन के
सुंदर पुरूष -सा
लग रहा है
अमलतास
कल तक बिलख रहा था
सिर-मुंडाए बच्चे सा
बार-बार फेरता था
सिर पर हाथ कि
कब आएँगे
उसके सुंदर घने बाल
आज हरी धोती पर
ढेर सारा झूमके वाले
सोने के जेवर पहने
इतरा रहा है अमलतास
बुरी नजर से बचा रहे हैं उसे
काले ,लंबे नजरौटे से फल
सबके दिन बहुरते हैं
सच कहती है माँ |
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