रूई वाले गालों जैसे
ये जामुन के फूल
कितने उजले कितने नाजुक
ये जामुन के फूल
गुच्छे-गुच्छे खिले हुए हैं
एक दूजे से मिले हुए हैं
खिल-खिल खिल-खिल हँसते रहते
ये जामुन के फूल
मधुमखियों की बन आई
जाने कहाँ से सूंघ के आई
कि पराग से भर आए हैं
ये जामुन के फूल
कल ये गोरे काले होंगे
उनमें रस के धारे होंगे
अपनी सार्थकता तब पाएंगे
ये जामुन के फूल |
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