अनिर्मित पथ
Thursday, 10 July 2014
ठप्पा
रिश्ते के ठप्पे से
कितना चमकीला हो जाता है
प्यार
दूर से ही दीखता
दुनिया के बीच
जगह घेरता
सम्मान पाता
सराहा जाता
क्या वह प्यार नहीं होता
जिस पर कोई ठप्पा नहीं होता |
1 comment:
Vaanbhatt
20 July 2014 at 02:50
बेहतरीन...
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बेहतरीन...
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