Wednesday 9 December 2015

सत्य

कल का सत्य
सत्य था कल का
आज के चश्में से
वह दिख सकता है
अशिव और असुंदर
आज का सत्य
आने वाले कल के चश्में से
सत्य के सिवा
कुछ और नजर आ सकता है
इसलिए आलोचको
चीजों को
उसी समय में रखकर देखो
क्योंकि हर समय का सत्य

एक सा नहीं रहता |

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