तुम में जो सुंदर था
सत्य था शिव था
वही काम्य था मुझे
उसी को पाया था मैंने
उसने भी पाया था
मुझे
अपने भीतर छिपे उस ‘तुम’ को
नहीं जान सके कभी तुम
मैंने जाना था
वही मेरे साथ है
बाकी जो तुम्हारा था
नहीं था मेरा
वह जिसका जितना था
बंट गया उसमें
क्यों दोष दूँ तुम्हें
या खुद को
मुझे वही तो नहीं मिला
जो काम्य नहीं था मुझे
तुम जो हो वह साथ होकर भी
नहीं होता साथ किसी के
मैं कैसे रह सकती थी
ऐसे के साथ
मेरा जो है
वह हर पल होता है मेरे साथ
उसने ही बनाया है मुझे
सत्य शिव
और सुंदर |
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